Kishore Kumar Hits

Myuzic Pandits - Sukhkarta Dukhkarta lyrics

Artist: Myuzic Pandits

album: Gajanana Sri Ganraya, Vol. 1


सुखकर्ता, दुःखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी, पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची
कंठी झळके माळ मुक्ताफळाची
(जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती)
(दर्शनमात्रे मन कामनापूर्ति)
(जय देव, जय देव)
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुनझुनती नूपुरे चरणी घागरिया
(जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती)
(दर्शनमात्रे मन कामनापूर्ति)
(जय देव, जय देव)
लंबोदर, पितांबर फनिवर वंदना
सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे, निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना
जय देव, जय देव
(जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती)
(दर्शनमात्रे मन कामनापूर्ति)
(जय देव, जय देव)

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको
हाथ लिए गुड़ लड्डू साईं सुरवरको
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पादको
(जय-जय जी गणराज, विद्या सुखदाता)
(धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता)
(जय देव, जय देव)
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटीसूरजप्रकाश ऐसी छवि तेरी
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि
(जय-जय जी गणराज, विद्या सुखदाता)
(धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता)
(जय देव, जय देव)
भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति-संपति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे
(जय-जय जी गणराज, विद्या सुखदाता)
(धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता)
(जय देव, जय देव)

लवथवती विक्राळा ब्रह्मांडी माळा
वीषें कंठ काळा त्रिनेत्रीं ज्वाळा
लावण्यसुंदर मस्तकीं बाळा
तेथुनियां जल निर्मळ वाहे झुळझूळां
(जय देव, जय देव, जय श्रीशंकरा, हो, स्वामी शंकरा)
(आरती ओवाळूं तुज कर्पूरगौरा)
(जय देव, जय देव)
कर्पूरगौरा भोळा नयनीं विशाळा
अर्धांगीं पार्वती सुमनांच्या माळा
विभुतीचें उधळण शितिकंठ नीळा
ऐसा शंकर शोभे उमावेल्हाळा
(जय देव, जय देव, जय श्रीशंकरा, हो, स्वामी शंकरा)
(आरती ओवाळूं तुज कर्पूरगौरा)
(जय देव, जय देव)
देवीं दैत्य सागरमंथन पै केलें
त्यामाजीं जें अवचित हळाहळ उठिलें
तें त्वां असुरपणें प्राशन केलें
नीळकंठ नाम प्रसिद्ध झालें
(जय देव, जय देव, जय श्रीशंकरा, हो, स्वामी शंकरा)
(आरती ओवाळूं तुज कर्पूरगौरा)
(जय देव, जय देव)
व्याघ्रांबर फणिवरधर सुंदर मदनारी
पंचानन मनमोहन मुनिजनसुखकारी
शतकोटीचें बीज वाचे उच्चारी
रघुकुळटिळक रामदासा अंतरीं
(जय देव, जय देव, जय श्रीशंकरा, हो, स्वामी शंकरा)
(आरती ओवाळूं तुज कर्पूरगौरा)
(जय देव, जय देव)

दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी
वारी वारीं जन्ममरणाते वारी
हारी पडलो आता संकट नीवारी
(जय देवी, जय देवी, महिषासुरमथनी)
(सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी)
(जय देवी, जय देवी)
त्रिभुवनी भुवनी पाहतां तुज ऐसे नाही
चारी श्रमले परंतु न बोलावे काहीं
साही विवाद करितां पडिले प्रवाही
ते तूं भक्तालागी पावसि लवलाही
(जय देवी, जय देवी, महिषासुरमथनी)
(सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी)
(जय देवी, जय देवी)
प्रसन्न वदने प्रसन्न होसी निजदासां
क्लेशापासूनि सोडी तोडी भवपाशा
अंबे तुजवांचून कोण पुरविल आशा
नरहरि तल्लिन झाला पदपंकजलेशा
(जय देवी, जय देवी, महिषासुरमथनी)
(सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी)
(जय देवी, जय देवी)

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