हाँ, घर आने की देर मुझ से ना होती क्योंकि तुम दरवाज़े पे हँसती खड़ी होती कुछ मैं बोलूँ, फिर तुम मुस्कुराती थी तुम्हारी आँखें गुलाबी शामों सी जबसे तुम खो गई, ना कोई रस्ता है ज़िंदगी नहीं, ये गुज़ारा है हो, लौट के वापस आ जाओ मैं फ़िर से गले लगाऊँगा हो, लौट के वापस आ जाओ मैं फ़िर से गले लगाऊँगा ♪ हाँ, बिस्तर के दूसरे हिस्से से हो गई मेरी दुश्मनी जबसे तुम गई मेरी चेहरे की हँसी अब ना रही उतनी टेढ़ी तेरी यादों जैसी जबसे तुम खो गई, ना कोई रस्ता है ज़िंदगी नहीं, ये गुज़ारा है हो, लौट के वापस आ जाओ मैं फ़िर से गले लगाऊँगा बिस्तर पे सोने की आदत है पर sofa पे मैं सो जाऊँगा तक़दीर में तुम अगर होगी मुझ से कहीं मिल जाओगी हो, लौट के वापस आ जाओ मैं फ़िर से गले लगाऊँगा ना-ना-न-ना-ना ना-ना-ना-ना-ना ना-न-ना-ना-ना