You should stand for a culture of excellence
The excellence not by accident
It's the process
Where an individual
Continuously tries to better oneself
The performance standards
Are set by themselves
They work on their dreams
With focus
And are prepared to take calculated risk
And do not get deterred
By failures
As they move towards their dreams
बड़े तू चल, भले ही कल न मिले कोई फल
लेकिन मैं कहूंगा बड़े तू चल
साथ हैं खड़े असल, रुका है क्यों फिर?
बड़े तू चल
Ayy
बड़े तू चल, है जो लगन, तो डरा क्यों करे तू?
बड़े तू चल, रहे अटल, वादे जो खुद ही से करे तू
बड़े तू चल, भले ही कल न मिले कोई फल
लेकिन मैं कहूंगा बड़े तू चल
साथ हैं खड़े असल, रुका है क्यों फिर?
बड़े तू चल
Ayy
बड़े तू चल, है जो लगन, तो डरा क्यों करे तू?
बड़े तू चल, रहे अटल, वादे जो खुद ही से करे तू
बड़े मैं चलु, न बचा विकल्प
होना ना चाहूँ विफल, है लिया संकल्प
राहों में चलूँ संभल, ये राहें कठिन है भले पथिक
पग रखूं सँभाल के बिलकुल सटीक
करूँ वो लगे जो ठीक
हैं खाली ये जेबें पर पल ये हसीं से
समा रंगीन ये अलग हूँ scene से
Ayy
जुड़ा ज़मीन से, मेरे ये ख्वाब विशाल हैं भीम से
दवा संगीत ये, लेले गर कोई तो पड़े न पलड़ा हकीम से
लूँ न मैं चैन की सांस
जब तक कि पा न लूँ जो भी है खोया वो पास
तू है क्यों उदास? चाहूं मैं बुझे न तेरी ये प्यास
तू करते रे काम ही तेरी पहचान
गुमनाम नहीं जीना तू जान
मान तू इतना बलवान है तुझमे समाया तूफ़ान
वादें हैं खुद ही से करे तो खरा उतर
(उम्मीदों पे फिरे न पानी, कुछ ऐसा तू कर)
वादें हैं खुद ही से करे तो खरा उतर
(उम्मीदों पे फिरे न पानी, कुछ ऐसा तू कर)
बड़े तू चल, भले ही कल न मिले कोई फल
लेकिन मैं कहूंगा बड़े तू चल
साथ हैं खड़े असल, रुका है क्यों फिर?
बड़े तू चल
Ayy
बड़े तू चल, है जो लगन, तो डरा क्यों करे तू?
बड़े तू चल, रहे अटल, वादे जो खुद ही से करे तू
बड़े तू चल, भले ही कल न मिले कोई फल
लेकिन मैं कहूंगा बड़े तू चल
साथ हैं खड़े असल, रुका है क्यों फिर?
बड़े तू चल
Ayy
बड़े तू चल, है जो लगन, तो डरा क्यों करे तू?
बड़े तू चल, रहे अटल, वादे जो खुद ही से करे तू
बड़े तू चल ए हमदम
जले ये पथ, चल मद्धम
करे ये वक़्त अब हलचल
गिरे ये रात, और शबनम
गम सब, गए धस, बना दलदल
जब, जब, भी मैं चला, मेरी कब्र पर
मर कर, रचा खुद ही का कतल, कर
श्रम कर, कर्म क्रम में हर पल पल
काम से चोरी ना
इंसान किस कौड़ी का
जान तू कारण यहाँ होने का
किताब ये कोरी न, जाने मैं दूंगा
बाकी न जानता होनी का
साज़ में हुँ मगन, जो छिड़ा
साथ रख गम, जो मिला
धार धार फिरूं, खोजी सा
लाँघ लाँघ दिखी, जो दिशा
मान से मनोबल
ज्ञान जो सींचा है, करो प्रदान वो बरोबर
शान से चलूँ मैं, करूँ अभ्यास और आँख इन काँस्य पदो पर
ज्ञान के सरोवर, बने, विश्वास न करा इन मान्यवरों पर
बस साथ जो चले बस, साथ में लेके सब, चल पड़ा, तू भी बड़े चल...
बड़े तू चल, भले ही कल न मिले कोई फल
लेकिन मैं कहूंगा बड़े तू चल
साथ हैं खड़े असल, रुका है क्यों फिर?
बड़े तू चल
Ayy
बड़े तू चल, है जो लगन, तो डरा क्यों करे तू?
बड़े तू चल, रहे अटल, वादे जो खुद ही से करे तू
बड़े तू चल, भले ही कल न मिले कोई फल
लेकिन मैं कहूंगा बड़े तू चल
साथ हैं खड़े असल, रुका है क्यों फिर?
बड़े तू चल
Ayy
बड़े तू चल, है जो लगन, तो डरा क्यों करे तू?
बड़े तू चल, रहे अटल, वादे जो खुद ही से करे तू
बड़े तू चल, भले ही कल न मिले कोई फल
Ayy
बड़े तू चल, है जो लगन, तो डरा क्यों करे तू?
बड़े तू चल, भले ही कल न मिले कोई फल
Ayy
बड़े तू चल, है जो लगन, तो डरा क्यों करे तू?
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