आधी छाँव, आधी धूप एक दिन बादशाह अकबर बीरबल की किसी बात से इतने नाराज़ हो गए कि उन्होंने बीरबल को ना केवल दरबार बल्कि आगरा शहर छोड़ने का आदेश दे दिया कुछ दिनों बाद अकबर को बीरबल की कमी महसूस होने लगी और वे उसे वापस अपने दरबार में लाना चाहते थे लेकिन उन्हें बीरबल का कुछ पता नहीं चला कि वो कहाँ गया है एक दिन अकबर को एक बात सूझी और उन्होंने यह घोषणा कर दी कि जो भी दरबार में आधी धूप और आधी छाँव में आएगा उसे १००० सोने के सिक्के मिलेंगे कुछ लोग कपड़े से सिर ढक कर आए कुछ लकड़ी का तख्ता लगा कर आए लेकिन कोई भी ऐसा नहीं था जो कि एकदम आधी छाँव या आधी धूप में हो तभी एक गाँव वाला सिर पर रस्सी से बनी चारपाई रखकर आया और इनाम का दावा करने लगा अकबर समझ गए कि इसके पीछे बीरबल का ही दिमाग़ है पूछताछ पर उस गाँव वाले ने बताया कि मेरे साथ में एक आदमी रहता है उसी ने मुझे ऐसा करने को कहा अकबर समझ गए कि वह आदमी कोई और नहीं बल्कि बीरबल है उन्होंने अपने सेवकों को भेजकर बीरबल को वापस बुला लिया