अकबर के लिए फ़ूल एक दिन बादशाह अकबर अपने दरबारियों के साथ शाही बगीचे में घूम रहे थे वसंत ऋतु थी इसलिए बगीचे में रंग-बिरंगे फ़ूल खिले हुए थे तभी राज कवि एक सुंदर से फ़ूल की ओर इशारा करके बोले "देखिए जाहपनाह, कितना सुंदर फ़ूल है कोई भी मानव इतनी सुंदर रचना नहीं कर सकता" तभी बीरबल बोले, "क्षमा कीजिएगा, राज कवि लेकिन मनुष्य तो इससे भी सुंदर चीज़ों की रचना कर सकता है" लेकिन बादशाह अकबर बीरबल की बात से सहमत नहीं हुए कुछ दिनों बाद बीरबल आगरा के एक कुशल कारीगर को लेकर आया और उसने बादशाह को संगमरमर पर फ़ूलों की नक़ाशी करके बनाया हुआ गुलदस्ता भेंट किया अकबर को वह गुदस्ता बहुत पसंद आया और उन्होंने उसे सोने के सिक्के इनाम में दिए थोड़ी देर बाद एक लड़का असली फ़ूलों से बना हुआ गुलदस्ता लेकर आया अकबर ने उसे चाँदी के सिक्के इनाम में दिए यह देखकर बीरबल बोले, "क्यों महाराज? असली फ़ूलों से ज़्यादा तो आपको उस कारीगर का बनाया हुआ गुलदस्ता पसंद आया" अकबर बीरबल का मतलब समझ गए और उसकी हाज़िरजवाबी पर मुस्कुराने लगे