अकबर का बीरबल से मिलना एक बार बादशाह अकबर अपने कुछ दरबारियों के साथ शिकार पर निकले और रास्ता भटक गए भटकते-भटकते वह एक जगह पहुँचे जहाँ पर तीन रास्ते थे, लेकिन किसी को पता नहीं था कि कौनसा रास्ता आगरा को जाता है तभी उन्हें एक आदमी दिखाई दिया अकबर ने उससे पूछा कि क्या तुम्हें पता है कि ये रास्ता कहाँ जाता है? वह आदमी बोला, "यह रास्ता तो कहीं भी नहीं जाता" अकबर गुस्से में बोले, "क्या मतलब है तुम्हारा?" आदमी बोला, "लोग जाते हैं, रास्ता थोड़े ही कहीं जाता है" अकबर आदमी के इस जवाब पर हँसने लगे और बोले, "सही कहा तुमने, क्या नाम है तुम्हारा?" आदमी बोला, "मेरा नाम महेश दास है, लेकिन तुम कौन हो? और तुम्हारा क्या नाम है?" अकबर बोले कि मैं हिंदुस्तान का बादशाह अकबर हूँ मुझे तुम्हारे जैसे निडर और बुद्धिमान लोग ही अपने दरबार में चाहिए अकबर उसे सोने की अंगूठी उपहार में देते हैं और कहते हैं, "तुम यह अंगूठी लेकर मेरे दरबार में आना मैं तुम्हें पहचान लूँगा और अपने दरबार में एक स्थान भी दूँगा" इस तरह महेश दास बादशाह अकबर से मिलता है और उन्हें आगरा का रास्ता भी बताता है यही महेश दास बाद में बीरबल के नाम से मशहूर होता है