भेद भी भेद न पाये जिनका आ... भेद भी भेद न पाये जिनका ऋषि मुनि सब हारे ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे (भेद भी भेद न पाये जिनका ऋषि मुनि सब हारे ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे) याद किया जब जब भी किसी ने नंगे पाँव पधारे ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हो... ऐंसे श्याम हमारे ♪ कारागार में जनमे गोकुल नगरी में आये वध करने पूतना आयी तो उसको मार गिराये कारागार में जनमे गोकुल नगरी में आये वध करने पूतना आयी तो उसको मार गिराये नंद भवन में बजी बधाई गोकुल वाले हर्षाये कैलाश छोड़ भोले जी दर्शन करने को आये करके दर्शन मस्त हो गये ये... करके दर्शन मस्त हो गये शिवशंकर मतवाले ऐंसे श्याम हमारे हो... ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हा हाँ... ऐंसे श्याम हमारे ♪ बचपन में नटखट कान्हा कई अद्भुत खेल दिखाये कभी माखन चोर कहाये मधुवन में गाय चराये बचपन में नटखट कान्हा कई अद्भुत खेल दिखाये कभी माखन चोर कहाये मधुवन में गाय चराये कभी नाग कालिया को वो जमुना से दूर भगाये जब मात् यसोदा डाँती मुख में ब्रह्मंड दिखाये जय जय कार की भगतों ने... हाँ जय जय कार की भगतों ने जब गिरबर नख पे धारे ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हा हाँ... ऐंसे श्याम हमारे अरे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे... ♪ भरी सभा में द्रोपदी कहकर भैया चिल्लाई लाचार सभा में बैठे थे पाँचो पांडव भाई भरी सभा में द्रोपदी कहकर भैया चिल्लाई लाचार सभा में बैठे थे पाँचो पांडव भाई आ आकर चीर बढ़ाया मेरे श्याम ने लाज बचाई गया हार दुशासन पापी जब लीला अजब दिखाई देर है पर अंधेर नहीं है... देर है पर अंधेर नहीं ये बिगड़े काज सँवारे ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे ♪ जब मगर मच्छ से हाथी था बुरी तरह से हारा तब आये छोड़ गरुड़ को जब हरि का नाम पुकारा जब मगर मच्छ से हाथी था बुरी तरह से हारा तब आये छोड़ गरुड़ को जब हरि का नाम पुकारा प्रहलाद भक्त की खातिर नरसिंह का रूप था धारा... ठोड़ी पे बैठके हरि ने ह्रिनाकश्यप को मारा... और उठा गोद में अपने भगत को... उठा गोद में अपने भगत को माँ की तरह पुचकारे ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे ♪ यार सुदामा के घर जब छाई थी कंगाली दर दर फिरता था मारा सब बिक गये लोटा थाली यार सुदामा के घर जब छाई थी कंगाली दर दर फिरता था मारा सब बिक गये लोटा थाली बचपन का यार कन्हैया यूँ कहने लगी घर वाली दो मुट्ठी चावल खाके सारी खुशियाँ दे डालीं दो लोक का राज दे दिये... दो लोक का राज दे दिये भर डाले भंडारे ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे जब बरबरीक ने आकर के शीश का दान दिया था है राजपाल मोहन ने कुछ यूँ वरदान दिया था जब बरबरीक ने आकर के शीश का दान दिया था है राजपाल मोहन ने कुछ यूँ वरदान दिया था मेरे नाम से पूजा होगी कलयुग में शीश के दानी... जबतक हैं चाँद सितारे ओ लक्खा रहेगी अमर कहानी हाँ खाटू में बही आन बसे हैं... खाटू में बही आन बसे हारे के जो हैं सहारे ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे अरे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे भेद भी भेद न पाये जिनका... भेद भी भेद न पाये जिनका ऋषि मुनि सब हारे ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे अरे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे हाँ... ऐंसे श्याम हमारे