मना किया था लबों को अपने के नाम तेरा लें ना कभी रोका बहुत के ये चेहरा तेरा ख़्वाबों को अपने दें ना कभी कुछ नहीं है पहले जैसा आजकल सब नया है कुछ अलग सा लग रहा है ये जो है सिलसिला ना चाह के भी ना जाने क्यूँ तेरा हो गया ना चाह के भी ना जाने क्यूँ तेरा हो गया, मना किया था ♪ मेरे आगे क्यूँ बिछे हैं इश्कवाले धागे-धागे उस में लिपटा सा मिल गया, तू मिल गया सादे-सादे थे इरादे आधे-आधे जो थे वादे आके तू इन से क्यूँ जुड़ गया? जुड़ गया हाथों में हो हाथ तेरे तो सफ़र का मज़ा है जिस सफ़र में तुम ना हो तो वो महज़ इक सज़ा ना चाह के भी ना जाने क्यूँ तेरा हो गया ना चाह के भी ना जाने क्यूँ तेरा हो गया ♪ थोड़ा-थोड़ा करते देखो सारे हुए तुम्हारे हम मीठे-मीठे होने लगे पहले तो, हाँ, थे खरे हम मैं कोरा सा काग़ज़ जिस की स्याही तू ही पढ़ते हैं सब मुझ को आओ तुम भी पढ़ो ना, कभी होता ना था जाने क्यूँ हो गया ना चाह के भी ना जाने क्यूँ तेरा हो गया ना चाह के भी ना जाने क्यूँ तेरा हो गया