وَتُعِزُ مَن تَشَاء، وَتُذِلُ مَن تَشَاء
وَتُعِزُ مَن تَشَاء، وَتُذِلُ مَن تَشَاء
وَتُعِزُ مَن تَشَاء، وَتُذِلُ مَن تَشَاء
وَتُعِزُ مَن تَشَاء، وَتُذِلُ مَن تَشَاء
وَتُعِزُ مَن تَشَاء، وَتُذِلُ مَن تَشَاء
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इस ज़मीं से आसमाँ तक तू ही तो सरकार है
इस ज़मीं से आसमाँ तक तू ही तो सरकार है
हम गुनहगारों की तू सुन ले ये फ़रियाद है, सुन ले ये फ़रियाद है
या रहीम, या क़रीम
बन जा सबका रहनुमा, ज़ख़्मों को दे मरहम
और सुन ले सब की तौबा, सुन ले सबकी तौबा
बन जा सबका रहनुमा, ज़ख़्मों को दे मरहम
और सुन ले सब की तौबा, सुनले सब की तौबा
وَتُعِزُ مَن تَشَاء، وَتُذِلُ مَن تَشَاء
وَتُعِزُ مَن تَشَاء، وَتُذِلُ مَن تَشَاء
وَتُعِزُ مَن تَشَاء، وَتُذِلُ مَن تَشَاء
وَتُعِزُ مَن تَشَاء، وَتُذِلُ مَن تَشَاء
وَتُعِزُ مَن تَشَاء، وَتُذِلُ مَن تَشَاء
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तुझे सब पता है, जो है अपनी मुरादें
तुझे सब पता है, जो है अपनी मुरादें
झोलियाँ पसारे आए हैं दर पे तुम्हारे
झोलियाँ पसारे आए हैं दर पे तुम्हारे
माँगना भी आता नहीं, हम नादान हैं
माँगना भी आता नहीं, हम नादान हैं
और बिन माँगे जो दिया तेरा एहसान है, तेरा एहसान है
या रहीम, या क़रीम
बन जा सबका रहनुमा, ज़ख़्मों को दे मरहम
और सुन ले सब की तौबा, सुन ले सबकी तौबा
बन जा सबका रहनुमा, ज़ख़्मों को दे मरहम
और सुन ले सब की तौबा, सुन ले सबकी तौबा
या रहीम, या क़रीम
या रहीम, या क़रीम
या रहीम, या क़रीम
या रहीम, या क़रीम (या रहीम, या क़रीम)
या रहीम, या क़रीम
या रहीम, या क़रीम
या रहीम, या क़रीम
या रहीम, या क़रीम
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शाह-ए-उमम, हम तेरे क़दमों के पीछे
शाह-ए-उमम, हम तेरे क़दमों के पीछे
चले जाएँ आँखें मीचे, हम ख़ुद को सींचे
चले जाएँ आँखें मीचे, हम ख़ुद को सींचे
तेरी ख़ुशियाँ, सरकार, फ़िक्र-ए-ख़ुदा है
तेरी ख़ुशियाँ, सरकार, फ़िक्र-ए-ख़ुदा है
सारी उम्मत, उम्मत तेरी सदा है, तेरी सदा है
या रहीम, या क़रीम
बन जा सबका रहनुमा, ज़ख़्मों को दे मरहम
और सुन ले सब की तौबा, सुन ले सबकी तौबा
बन जा सबका रहनुमा, ज़ख़्मों को दे मरहम
और सुन ले सब की तौबा, सुन ले सबकी तौबा
وَتُعِزُ مَن تَشَاء، وَتُذِلُ مَن تَشَاء
जिसको चाहे इज़्ज़त दे या चाहे तो ज़िल्लत दे
وَتُعِزُ مَن تَشَاء، وَتُذِلُ مَن تَشَاء
इज़्ज़त है तेरा तोहफ़ा, ज़िल्लत यानी तू ख़फ़ा
अपनों से इतना भला कोई रूठता है क्या?
मान जा मेरे रब्बा, मान जा मेरे रब्बा
मान जा मेरे रब्बा, दे रसूल का सदका
وَتُعِزُ مَن تَشَاء، وَتُذِلُ مَن تَشَاء
وَتُعِزُ مَن تَشَاء، وَتُذِلُ مَن تَشَاء
इज़्ज़त है तेरा तोहफ़ा, ज़िल्लत यानी तू ख़फ़ा
अपनों से इतना भला कोई रूठता है क्या?
मान जा मेरे रब्बा, दे रसूल का सदका
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