शाम को देखा छत पर तुझको जैसे रात में चाँद खिला दो नज़रें कुछ उलझी ऐसे तार से जैसे तार मिला हाथ उठा कर रब से मैंने तुझको दुआओं में माँगा तुझको अपना ख़्वाब बना कर साथ तेरे पहरों जागा सुबह मिली तू बन के किरण फिर से तेरा दीदार हुआ दिल में जागा अपनापन आँखों से इज़हार हुआ फिर हम दोनों पास आए चाहत का इक़रार हुआ हमको तुमसे प्यार हुआ तुमको हमसे प्यार हुआ ♪ हर परछाई जिस्म है तेरा धूप में खिलते रंग तेरे तेरे बिना भी तेरी गली में फिरता हूँ मैं संग तेरे तू है ख़यालों का एक दरिया तुझमें बहता जाऊँ मैं बारिश सी तू बरसे मुझमें तुझमें भीगा जाऊँ मैं डूब के तुझमें जब उभरा पहलू में तुझको पाया मुझपे बादल सा बिखरा तेरी ज़ुल्फ़ों का साया तेरे गले से लग के मैं रूह तलक गुलज़ार हुआ हमको तुमसे प्यार हुआ तुमको हमसे प्यार हुआ