हर दिन की शुरुआत हो जिनसे हर दिन की शुरुआत हो जिनसे आदि अनंत शंकर शिव है ♪ जाटाओ से है जिनके जल प्रवाह मत गंगा का गले में जिनके साज रहा है हार विष भुजंग का गले में जिनके साज रहा है हार विष भुजंग का आ वो श्रेश वो आशीष वो प्रशेश वो विशेष जो इनको जेसा धरे वो वेश है हर दिन की शुरुआत हो जिनसे हर दिन की शुरुआत हो जिनसे आदि अनंत शंकर शिव है ♪ सदैव सवार मंगला कला के शीश देवता वही विनाश कल है वही यहाँ जगत के पिता वही विनाश कल है वही जगत के पिता आ वो नेत्र सूर्या देवता का चंद्रमा का वाल है विलाय भी वे प्रयल भी वे अकाल महाकाल है हर दिन की शुरुआत हो जिनसे हर दिन की शुरुआत हो जिनसे आदि अनंत शंकर शिव है