कंचन मृग बनकर आया कंचन मृग बनकर आया सिय का अपहरण कराने माया का मारीच चला मायापति को भटकाने माया का मारीच चला मायापति को भटकाने कंचन मृग बनकर आया कंचन मृग बनकर आया सिय का अपहरण कराने माया का मारीच चला मायापति को भटकाने माया का मारीच चला मायापति को भटकाने सीता बोलीं वो देखें स्वामी है मृग कंचन का लायें चर्म निशान रहेगा चौदह बरस गमन का सीता बोलीं वो देखें स्वामी है मृग कंचन का लायें चर्म निशान रहेगा चौदह बरस गमन का सिय माया की माया का मृग सिय माया की माया का मृग लगे राम मुसकाने माया का मारीच चला मायापति को भटकाने माया का मारीच चला मायापति को भटकाने आप कल्पना करिये वो मृग सोने का न दिखा होता तो क्या सीता जी चरम मांगती कदापि नहीं मांगती साधक कहता है जो ये सोना ही माया है ये जो सोना है ये माया है इसी माया ने सबको फसाया है मई बाप साधक कहता है सावधान माया सोना है इसके आगें यह जगत खिलौना कितने लोगों को जीवन भर सोने दिया न सोना माया सोना है इसके आगें यह जगत खिलौना कितने लोगों को जीवन भर सोने दिया न सोना राम चले सोने के पीछे हम सब को समझाने माया का मारीच चला मायापति को भटकाने माया का मारीच चला मायापति को भटकाने घर में सोना अधिक हो जाये तो मई बाप रात का सोना चला जाता है राम जी सोने के पीछे दौड़ क सन्देश देना चाहते है की म ब्रह्म हु और में सोने के पीछे जा रहा हु परीवार से दूर हो गया यदि मुझे देख कर तुम नहीं सम्ब्ले तो और तुम भी सोने के पीछे बागो गे तो एक दिन तुम भी परिवार से दूर चले जाओगे साधक कहता है मायापति को भी वन में इतना दौड़ाई माया इसी लिए जीवन में कही पड़े न माया की कही छाया मायापति को भी वन में इतना दौड़ाई माया इसी लिए जीवन में कही पड़े न माया की कही छाया रही नचा रहा जो जग को उसे माया चली नचाने माया का मारीच चला मायापति को भटकाने माया का मारीच चला मायापति को भटकाने कंचन मृग बनकर आया कंचन मृग बनकर आया सिय का अपहरण कराने माया का मारीच चला मायापति को भटकाने माया का मारीच चला मायापति को भटकाने माया का मारीच चला मायापति को भटकाने