आओ तुम, बैठो ना चुप हूँ मैं, बताओ ना ख़ताएँ कई, मानी हैं जाने की ज़िद, अब छोड़ो ना रह जाएगी तेरी कमी तुझ तक जो राहें थी, ना होंगी कभी हर एक पल मेरा कभी तेरा जो होता था, ना होगा कभी रश्मों से ना सही रूह से तू है मेरी ढलती जो शाम मैं उसमें तू शायरी क़ुर्बत के पल कई दिल सँभाले आज भी जो ना हो तू अब कभी, होऊँगा क्या मैं तब यही? समझा है तुमको अभी चाहूँ मैं तुमसे यही आ जाओ, आ जाओ ना (आ जाओ) आ जाओ, आ जाओ ना आ जाओ, आ जाओ ना (आ जाओ) आ जाओ, आ जाओ ना ♪ सुन लो ना बस एक घड़ी चुन ली है राहें बड़ी वक़्त की कमी है माना अभी सह लो ना है तुम्हारे लिए थम जाएगी ज़िद भी मेरी मुझपे तुझे गुमाँ जो होगा नहीं नाराज़ ही हक़ है तेरा इतना भी हक़ नहीं सुने ना कभी उल्फ़तों की भीड़ में रहतें हैं ना फिर से हम क़ुल्फ़तें ना होंगी अब वो, होंगी ना वो आँखें नम मयस्सर भी होऊँगा मैं जब भी तेरा दिल कहे तेरे ही नूर का शायद ताबीर मैं समझा है इसको अभी चाहूँ मैं तुमसे यही आ जाओ, आ जाओ ना (आ जाओ) आ जाओ, आ जाओ ना आ जाओ, आ जाओ ना (आ जाओ) आ जाओ, आ जाओ ना आ जाओ, आ जाओ ना आ जाओ, आ जाओ ना