एक कच्चा घड़ा हूँ मैं एक कच्चा घड़ा हूँ मैं फ़िर भी बरसात में खड़ा हूँ मैं बूँदें बेरहम हैं, उनको ये वहम है कि मैं टूट रहा हूँ, जो मैं चीख रहा हूँ पर वो बेवकूफ़ हैं, मैं तो सीख रहा हूँ ऐसे पहले भी लड़ा हूँ मैं एक कच्चा घड़ा हूँ मैं हम वो हैं जो क़िस्मत के चाँटों के शोर पे नाचते हैं हम वो हैं जो क़िस्मत के चाँटों के शोर पे नाचते हैं जितनी ज़ोर का चाँटा, हम उतनी ज़ोर से नाचते हैं ये जो खिसक-खिसक के मैं आगे जा रहा हूँ ये जो फ़िसल-फ़िसल के मैं पीछे आ रहा हूँ ये जो पिघल-पिघल के मैं बहता जा रहा हूँ ये जो सिसक-सिसक के मैं आहें भर रहा हूँ नीचे हैं खाइयाँ और मैं काँप रहा हूँ पर ज़िंदा हूँ अभी, अभी हाँफ़ रहा हूँ ऐसे पहले भी चढ़ा हूँ मैं एक कच्चा घड़ा हूँ मैं एक तो राहों में बबूल बहुत हैं उसके ऊपर से अपने उसूल बहुत हैं उसके ऊपर से सब टोकते रहते हैं कि Rahgir भाई, उधर जाओ, उधर फूल बहुत हैं ये जो हँस रही है दुनिया मेरी नाकामियों पे ताने कस रही है दुनिया मेरी नादानियों पे पर मैं काम कर रहा हूँ मेरी सारी ख़ामियों पे कल ये मारेंगे ताली मेरी कहानियों पे कल जो बदलेगी हवा, ये साले शरमाएँगे "हमारे अपने हो," कह के ये बाँहें गरमाएँगे क्योंकि ज़िद्दी बड़ा हूँ मैं एक कच्चा घड़ा हूँ मैं फ़िर भी बरसात में खड़ा हूँ मैं बूँदें बेरहम हैं, उनको ये वहम है कि मैं टूट रहा हूँ, जो मैं चीख रहा हूँ पर वो बेवकूफ़ हैं, मैं तो सीख रहा हूँ ऐसे पहले भी लड़ा हूँ मैं एक कच्चा घड़ा हूँ मैं