Ay, Shloka ♪ जोगी मगन, हम गीत सुनाए रे तीर शबद के खींच चलाए रे हम खड़े काल हैं, पूरा पी के विष कटोरा हम बने आज जो भी, माथे को लिख मरोड़ा जब चढ़े ताल पे हो जाते हैं फिर अघोरा सब कहे, "आप में झलकी दिखता शिव का थोड़ा" मैं आदमी तामसी, मुझमें ताप है आग की रखते काम से आशक़ी, तभी तो लाज़मी नाम भी अपना बात ही राज सी, रखते राज की चाह नहीं दिखता हम सा ना दूजा तो रख लें ताज ये आप ही इस शैली के जैविक पिता में हमरी गणना सभी करें इन भेड़ों के झुंड से कह दो हमसे तुलना नहीं करे पूरा भिन्न भीड़ से मैं, थोड़ा सिंह पीड़ में है क्योंकि हीर ने जो दागे थे अब तक चिन्ह तीर के हैं पूरे सपनों को किया, जब कोई साथ था नहीं झूठे क़समों पे मत जाना, कोई आप का नहीं करके वादे जो बातों से मुकरे उनसे ये कहना "जो एक बात का नहीं वो एक बाप का नहीं" जोगी मगन, हम गीत सुनाए रे तीर शबद के खींच चलाए रे जोगी मगन, हम गीत सुनाए रे तीर शबद के खींच चलाए रे भोले हर-हर शिवा, मोरे रग-रग बसा तू था रक्षक मेरा, तभी मैं अब तक खड़ा था युद्ध यहाँ पे सम्मान का अपमान से जिसमें शिवजी और संगीत मेरे वरदान थे जो कहते थे, "कभी कुछ ना होगा कभी इस इनसान से" वो कहते, "बस एक तस्वीर चाहिए थे श्रीमान के" जो आम, सहज, अभी खास है माँ-बाप गरव करें आज पे मैंने rap के नक्शे पे राज रखा मेरा नाम दरज इतिहास में तो करजदार हर तिरस्कार के ख़बरदार सब, अविष्कार मैं असरदार एक चमत्कार किया चमत्कार को ही नमस्कार है नीच-लीच बीत गए अब बस प्रीत, मीत, गीत है गाना गाँव से लंदन बजता लाया scene खींच पीठ पे बोली में अपनी विदेशों तक दहाड़ मारते हैं जो भी लोगों ने दिया उसका आभार मानते हैं ज़िद्दी खून है मांझी का, हम उस माटी से हैं बे ठानी जिद हमने तो फिर पूरा पहाड़ काटते हैं जोगी मगन, हम गीत सुनाए रे तीर शबद के खींच चलाए रे जोगी मगन, हम गीत सुनाए रे तीर शबद के खींच चलाए रे (जोगी मगन, हम गीत सुनाए रे) (तीर शबद के खींच चलाए रे)