है लब तेरे साँसों का मेरी अब से ठिकाना था मेरे लिए ख़्वाबों के जैसा तुझ को यूँ पाना माना हज़ारों दफ़ा यूँ तो मैं ख़ुद से मिला लेकिन था अंजाना जो तू मुझे आ मिला, पूरा मैं होने लगा मैंने ख़ुद को जाना हुआ मैं तेरा, मिला बसेरा अब क्या ख़ुदा से शिक़ायत करूँ? हुआ मैं तेरा, मिला बसेरा मुझ पे ख़ुदा की इनायत है तू (ख़ुदा की इनायत है तू) (ख़ुदा की इनायत है तू) चाहूँ मैं यही, जागूँ जो रातों में पास मेरे तू आए नज़र माँगूँ मैं यही कि मेरे ख़्वाबों में खो जाए तुझ को खोने का डर ऐसा हो जाए यक़ीं, जाएगा ना तू कहीं पास रहे हर लम्हा तू साथ जो नहीं, आँखों में रहती नमी फिरता हूँ मैं तन्हा हुआ मैं तेरा, मिला बसेरा अब क्या ख़ुदा से शिक़ायत करूँ? हुआ मैं तेरा, मिला बसेरा मुझ पे ख़ुदा की इनायत है तू (ख़ुदा की इनायत है तू) (ख़ुदा की इनायत है तू) ♪ (ख़ुदा की इनायत है तू)