दिल से दिल मिल गए हैं तो चाहिए फिर इस दिल को क्या जादू है मीठी बातों का जिसने धड़कन को ही छू लिया कवि की कल्पना या कोई आईना या धुँधला सपना जिससे चेहरा मिल गया या जैसे तितली लुटाए उड़े हो मस्तियाँ वो ताज़गी है जिससे फूल भी जले चमक से चाँद भी ढले है सादगी जैसे लोरी हो कोई वो जैसे चाँदनी खिले ♪ बोले बाँसुरी सी, सबनम सिंदूरी सी घुल जाए हवाओं में हल्की बारीशों सी, गहरी ख्वाहिशों सी इतराए अदाओं में लहराए जो चुनर तो जैसे नदिया लगे शर्मीली इस उमर पे छाए खुशियाँ लगी भरे जो सूरमा शहीद करे सूरमा कई वो ताज़गी है जिससे फूल भी जले चमक से चाँद भी ढले है सादगी जैसे लोरी हो कोई वो जैसे चाँदनी खिले ♪ योवन के झड़ी सी, मलमल के लड़ी सी मूरत संग-ए-मरमरी झरते मोतिययों, सी जड़ते आदतो सी बिजली जैसी मनचली युगों-युगों से सीता का मैं राम बनूँ मेहंदी की नकासीयो में छुपा नाम बनूँ मैं फिर से थाम लूँ, वो हाथ वही है दुआ यही वो ताज़गी है जिससे फूल भी जले चमक से चाँद भी ढले है सादगी जैसे लोरी हो कोई वो जैसे चाँदनी खिले