ओढ़े हुए वो चादर में दो परिंदे हैं, सोने भी दो आसमाँ भी ना रहा उनका, छुपके तो मिलने भी दो उड़े तिनके सारे, जुड़ने भी दो ज़रा एक दफ़ा वो चादर में दो परिंदे हैं, सोने भी दो आसमाँ भी ना रहा उनका, छुपके तो मिलने भी दो ♪ किया ना गुनाह तो क्यूँ सोचना, कहाँ लें भला हम पनाह किया ना गुनाह तो क्यूँ सोचना, कहाँ लें भला हम पनाह आए परों पे ज़ख़्म बेवजह, उनको तो भरने भी दो ओढ़े हुए वो चादर में दो परिंदे हैं, सोने भी दो आसमाँ भी ना रहा उनका, छुपके तो मिलने भी दो उड़े तिनके सारे, जुड़ने भी दो ज़रा एक दफ़ा वो चादर में दो परिंदे हैं, सोने भी दो आसमाँ भी ना रहा उनका, छुपके तो मिलने भी दो