वो नहीं मेरा मगर... वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है ये अगर रस्म-ओ-रिवाजों से बग़ावत है तो है वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है सच को मैंने सच कहा, जब कह दिया तो कह दिया सच को मैंने सच कहा, जब कह दिया तो कह दिया अब ज़माने की नज़र में ये हिमाक़त है तो है वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है दोस्त बनकर दुश्मनों सा वो सताता है मुझे दोस्त बनकर दुश्मनों सा वो सताता है मुझे फिर भी उस ज़ालिम पे मरना अपनी फ़ितरत है तो है वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है कब कहा मैंने के "वो मिल जाए मुझ को, मैं उसे?" कब कहा मैंने के "वो मिल जाए मुझ को, मैं उसे?" ग़ैर ना हो जाए वो, बस इतनी हसरत है तो है वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है ये अगर रस्म-ओ-रिवाजों से बग़ावत है तो है वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है