तुम्हारे झूठ को ही सच मैं अक्सर मान लेती हूँ तुम्हारे झूठ को ही सच मैं अक्सर मान लेती हूँ मगर क्या कुछ तुम्हारे दिल में है ये जान लेती हूँ तुम्हारे झूठ को ही सच मैं अक्सर मान लेती हूँ मुझे छलने की ख़ातिर बेसबब जो ले बदलते हो मुझे छलने की ख़ातिर बेसबब जो ले बदलते हो किसी भी रूप में हो तुम, तुम्हें पहचान लेती हूँ मगर क्या कुछ तुम्हारे दिल में है ये जान लेती हूँ तुम्हारे झूठ को ही सच मैं अक्सर मान लेती हूँ तुम्हें किस ने कहा है भीख में मुझ को मोहब्बत दो? तुम्हें किस ने कहा है भीख में मुझ को मोहब्बत दो? किसी का भी कभी भी मैं कहाँ एहसान लेती हूँ? मगर क्या कुछ तुम्हारे दिल में है ये जान लेती हूँ तुम्हारे झूठ को ही सच मैं अक्सर मान लेती हूँ नहीं मंज़ूर मुझ को मैं किसी के सामने बिखरूँ नहीं मंज़ूर मुझ को मैं किसी के सामने बिखरूँ मैं टूटे दिल पे ख़ुद्दारी की चादर तान लेती हूँ मगर क्या कुछ तुम्हारे दिल में है ये जान लेती हूँ तुम्हारे झूठ को ही सच मैं अक्सर मान लेती हूँ