कोई चाहत, कोई हसरत ही नहीं कोई चाहत, कोई हसरत ही नहीं क्यूँ सुकूँ दिल को मेरे फिर भी नहीं? कोई चाहत, कोई हसरत ही नहीं जाने क्यूँ मिलती रही उस की सज़ा जाने क्यूँ मिलती रही उस की सज़ा जाने क्यूँ मिलती रही उस की सज़ा जो ख़ता हम ने अभी तक की नहीं जो ख़ता हम ने अभी तक की नहीं क्यूँ सुकूँ दिल को मेरे फिर भी नहीं? कोई चाहत, कोई हसरत ही नहीं शिद्दतों से हैं सहेजे हम ने ग़म शिद्दतों से हैं सहेजे हम ने ग़म शिद्दतों से हैं सहेजे हम ने ग़म थी ख़ुशी भी, पर हम ही ने ली नहीं थी ख़ुशी भी, पर हम ही ने ली नहीं क्यूँ सुकूँ दिल को मेरे फिर भी नहीं? कोई चाहत, कोई हसरत ही नहीं तुम आने मौत के समझोगे क्या? तुम माने मौत के समझोगे क्या? तुम माने मौत के समझोगे क्या? ज़िंदगी तो तुम ने अब तक जी नहीं ज़िंदगी तो तुम ने अब तक जी नहीं क्यूँ सुकूँ दिल को मेरे फिर भी नहीं? कोई चाहत, कोई हसरत ही नहीं