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Ghulam Ali - Who Nahi Mera Magar (Duet) lyrics

Artist: Ghulam Ali

album: Hasratein


वो नहीं मेरा मगर...
वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है
ये अगर रस्म-ओ-रिवाजों से बग़ावत है तो है
वो नहीं मेरा मगर...
वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है
ये अगर रस्म-ओ-रिवाजों से बग़ावत है तो है
वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है
दोस्त बन कर दुश्मनों सा वो सताता है मुझे
दोस्त बन कर दुश्मनों सा वो सताता है मुझे
फिर भी उस ज़ालिम पे मरना अपनी फ़ितरत है तो है
वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है
जल गया परवान अगर तो क्या ख़ता है शम्मा की?
जल गया परवान अगर तो क्या ख़ता है शम्मा की?
रात-भर जलना-जलाना उस की क़िस्मत है तो है
वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है
कब कहा मैंने के "वो मिल जाए मुझ को, मैं उसे?"
कब कहा मैंने के "वो मिल जाए मुझ को, मैं उसे?"
ग़ैर ना हो जाए वो बस इतनी हसरत है तो है
वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है
दूर थे और दूर हैं हरदम ज़मीन-ओ-आसमाँ
दूर थे और दूर हैं हरदम ज़मीन-ओ-आसमाँ
दूरियों के बाद भी दोनों में क़ुर्बत है तो है
वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है
सच को मैंने सच कहा, जब कह दिया तो कह दिया
सच को मैंने सच कहा, जब कह दिया तो कह दिया
अब ज़माने की नज़र में ये हिमाक़त है तो है
वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है
ये अगर रस्म-ओ-रिवाजों से बग़ावत है तो है
वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है (है तो है)

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