धूप में निकला ना करो, रूप की रानी गोरा रंग काला ना पड़ जाए धूप में निकला ना करो, रूप की रानी गोरा रंग काला ना पड़ जाए मस्त-मस्त आँखों से छलकाओ ना मदिरा मधुशाला में ताला ना पड़ जाए धूप में निकला ना करो, रूप की रानी गोरा रंग काला ना पड़ जाए तुम जो थक गई हो तो बाहों में उठा लें तुम जो थक गई हो तो बाहों में उठा लें हुक्म दो हमें तो अभी पालकी ला दें पंथ है पथरीला, पैदल ना चलो तुम पंथ है पथरीला, पैदल ना चलो तुम कहीं पाँव में छाला ना पड़ जाए धूप में निकला ना करो, रूप की रानी गोरा रंग काला ना पड़ जाए धूप हो या छाँव सजन, मैं तो आऊँगी धूप हो या छाँव सजन, मैं तो आऊँगी तुमसे मिलने आग पे भी चल के जाऊँगी एक पल भी तनहा तुम्हें छोड़ूँ तो कैसे? हाँ, एक पल भी तनहा तुम्हें छोड़ूँ तो कैसे? किसी सौतन से पाला ना पड़ जाए धूप में निकला ना करो, रूप की रानी गोरा रंग काला ना पड़ जाए मस्त-मस्त आँखों से छलकाओ ना मदिरा मधुशाला में ताला ना पड़ जाए