Kishore Kumar Hits

Shiraz Uppal - Ankahi lyrics

Artist: Shiraz Uppal

album: Ankahi


कहो तो सही जो है अनकही
कब से रही बे-बयाँ
ऐसा भी नहीं कि जो दिल कहे
वो ना कह सके ये ज़ुबाँ
दो लफ़्ज़ हैं तेरे लिए
मेरे लिए दोनों जहाँ
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो-हो
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो-हो
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो

फ़ासलों के दरमियाँ हैं
रुकी हुईं राहें कई
ख़ामोशी की आहटों में
दबी-दबी आहें कई
कई ख़्वाब आँखों तले अनछुए हैं
उन्हें छू के ताबीर दो
लकीरें हैं उलझी हुईं मेरे हाथों में
तुम इनको तक़दीर दो
दो लफ़्ज़ हैं तेरे लिए
मेरे लिए दोनों जहाँ
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो-हो
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो-हो
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो

धूप रही ज़िंदगी में
कहीं कोई साया नहीं
भूले से भी कोई मुझे
तेरे सिवा भाया नहीं
मेरे हर तसव्वुर का मेहवर तुम्हीं हो
ना तिश्ना मुझे यूँ करो
ना आँखों ही आँखों से कहती रहो तुम
लबों का सहारा भी लो
दो लफ़्ज़ हैं तेरे लिए
मेरे लिए दोनों जहाँ
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो-हो
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो-हो
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो-हो
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो-हो
हो-हो-हो-हो, हो-हो-हो

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