चार दिन की ज़िंदगी थी चार पल भी जी ना पाए कैसे लेते थे ये साँसें कैसे रोकीं, क्या बताएँ यही कहता रहा ये दिल उस आख़िरी वक़्त में भी मुझे जाना ना था, मुझे जाना ना था मेरी और ख़्वाहिशें थीं, मुझे जाना ना था मुझे जाना ना था, मुझे जाना ना था क्या सभी साज़िशें थीं? मुझे जाना ना था ♪ ख़्वाब से अपनी रातें क्यूँ बुनता है? ख़ुद ही ख़ुद की तू राहें क्यूँ चुनता है? दिल के रस्ते चला तो तू हारेगा दिल तो कुछ भी कहेगा, क्यूँ सुनता है? यही कहते थे वो सारे जो भी मुझसे थे पराए और जो अपने थे उन्हीं को मेरी ख़ातिर आँसू आए माफ़ सभी मुझे करना नमी आँखों में देके मुझे जाना ना था, मुझे जाना ना था मेरी और ख़्वाहिशें थीं, मुझे जाना ना था मुझे जाना ना था, मुझे जाना ना था क्या सभी साज़िशें थीं? मुझे जाना ना था मुझे जाना ना था, मुझे जाना ना था मेरी और ख़्वाहिशें थीं, मुझे जाना ना था मुझे जाना ना था, मुझे जाना ना था क्या सभी साज़िशें थीं? मुझे जाना ना था