याद है वो दिन जब हम मिले बातों में ऐसे ढूँढे तुम्हें कहना जो चाहते, कैसे कहें? यादों में तुम लिपटे हुए क्यूँ होता है ऐसे कभी? जब कुछ भी ना बोलूँ तो सुनता कोई क्यूँ होता है ऐसे कभी? जब कुछ भी ना चाहूँ तो मिलता तभी कैसे? कैसे समझाऊँ तुम्हें? दिल की जो कमी है, अंदर दबी है ♪ चलो ना मेरे तुम साथ में देखेंगे, वो क्या कहेंगे मेरे इस दिल को भी हुई है आदत ज़रूर ये आँखों की मैं खो गई क्यूँ होता है ऐसे कभी? जब कुछ भी ना बोलूँ तो सुनता कोई क्यूँ होता है ऐसे कभी? जब कुछ भी ना चाहूँ तो मिलता तभी कैसे? कैसे समझाऊँ तुम्हें? ♪ मेरी आँखों में देखो इन आँखों में क्या है रखा क्या है रखा करना क्या, सोचूँ ना तन्हा करना क्या, सोचूँ ना तन्हा