उसने ये कहा क्यूँ है तू खफा तेरी ज़िन्दगी में है वो पल आना भी बचा क्यूँ खो कर यकीन अपनी आवाज़ में तेरा आसमान है, तेरा ही तो है जहाँ मेरे लेकिन कुछ दिन हैं ऐसे आज हूँ पर कल ना जाने कहाँ मैं जाऊँगा एक दिन मगर मैं जाऊँगा मैं जाऊँगा एक दिन मगर मैं जाऊँगा उसने ये कहा तू है आज़ाद फिर तेरी हर ख़ुशी में है तेरी जिद तेरी मंजिल गुम होकर यु कहीं इस झूठे गाँव में ना खोना तू यकीन तेरे संग है मेरा ये दिल मेरे लेकिन कुछ दिन हैं ऐसे आज हूँ पर कल ना जाने कहाँ मैं जाऊँगा एक दिन मगर मैं जाऊँगा मैं जाऊँगा एक दिन मगर मैं जाऊँगा मुझसे यूँ क्यूँ खफा है तू क्यूँ ये दूरी, क्यूँ जुदा है तू खोकर अपने दिल की ये आवाजें अपनी मंजिल से फना है तू मैं चाहूँगा तुझको मगर मैं जाऊँगा मैं जाऊँगा एक दिन मगर मैं जाऊँगा