कभी कभी में यह सोचता हूँ क्यूँ में खुद से खफा हूँ आगे बढ कर जा पहुचुं में उस पार मेरा गाँव हर कोई टोकता है बदने से रोकता है मुझे ठहरे ठहरे कदम हैं कैसे ढूंडू में अपनी रहे ना ना ना ना रोको ना रोको ना मुझे ना ना ना ना चूने दो आसमान मुझे भूलना है जो भी तुमने सिखाया मुझे ना ना ना ना रोको ना रोको ना मुझे ख़ामोशी में चीखता हूँ टुकड़ा टुकड़ा बटा हूँ आएने के दायरों में सिमटा सा क्यूँ में खड़ा हूँ कहीं पीछे भूल आया अपना एक छोटा साया मुझसे वो पूछता है उसे खो के क्या मैंने पाया ना ना ना ना रोको ना रोको ना मुझे ना ना ना ना चूने दो आसमान मुझे भूलना है जो भी तुमने सिखाया मुझे ना ना ना ना रोको ना रोको ना मुझे