तन्हा-तन्हा सा मैं रहता था, आँखों में सपने बुनता था
फ़िर लहर उठी, बह चला
कुछ डरा-सहमा सा मैं निकल पड़ा, नए शहर में चलता रहा
रुकावटों से मैं ना डरा
नई उड़ानों की दिशाओं में उड़ा-उड़ा सा मैं बढ़ता चला
मंज़िलों के मैं क़रीब आया
ऐसा लगा मुझे जैसा नया-पुराना सब मैंने भुला दिया
वो जो थीं मेरी ग़लतियाँ
सपने जो देखे थे, इनमें अब हम रहते हैं
♪
ये क्या हो गया? कहाँ मैं आया?
बढ़ता चला मैं यूँ नई दिशाओं में
नया है समाँ, नई है हवा
मुझको लगी जैसे किसी अपने की दुआ
ख़ुद पे जो हो यक़ीं तो रहमतें बरसेंगी
♪
यही है मेरी दास्ताँ, यही है मेरी दास्ताँ, सुनानी थी मुझे जो आज
रुकना ना, थकना ना, थम ना, चाहे जो भी हो
यही है मेरी दास्ताँ, यही है मेरी दास्ताँ, सुनानी थी मुझे जो आज
रुकना ना, थकना ना, थम ना, चाहे जो भी हो
यही है मेरी दास्ताँ, यही है मेरी दास्ताँ, सुनानी थी मुझे जो आज
रुकना ना, थकना ना, थम ना, चाहे जो भी हो
यही है मेरी दास्ताँ, यही है मेरी दास्ताँ, सुनानी थी मुझे जो आज
रुकना ना, थकना ना, थम ना, चाहे जो भी हो
यही है मेरी दास्ताँ, यही है मेरी दास्ताँ, सुनानी थी मुझे जो आज
रुकना ना, थकना ना, थम ना, चाहे जो भी हो
यही है मेरी दास्ताँ, यही है मेरी दास्ताँ, सुनानी थी मुझे जो आज
रुकना ना, थकना ना, थम ना, चाहे जो भी हो
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