वादों के फूल खिले, ना वो मिले हमें रुख़सत हो जाने को मन है, पर राहें बंद हैं वो हूँ मैं खड़ा रोशनी में, अस्ल है वो अँधेरा ही मैं ही जल रहा हूँ यादों में उलफ़तों के वादों में क्यूँ? उनको क्या फ़िकर जब ना ज़िकर वो उड़ रहे हैं बे-फ़िकर क्यूँ? ♪ इरादों से मिलते हैं ख़्वाबों के दर इशारों पर क्यूँ रुकूँ? नुसरत ये तुमसे जो माँगी है फ़ुर्क़त के हैं निशाँ इरादों से मिलते हैं ख़्वाबों के दर इशारों पर क्यूँ रुकूँ? नुसरत ये तुमसे जो माँगी है फ़ुर्क़त के हैं निशाँ हूँ मैं खड़ा भीड़ में कहीं अस्ल है वो परछाइयाँ तेरी हूँ मैं खड़ा भीड़ में कहीं अस्ल है वो परछाइयाँ तेरी ♪ Whoa-oh-oh-ohh Whoa-oh-oh-ohh Whoa-oh-oh-ohh Whoa-oh-oh-ohh ♪ मैं ही जल रहा हूँ यादों में उलफ़तों के वादों में क्यूँ? उनको क्या फ़िकर जब ना ज़िकर वो उड़ रहे हैं बे-फ़िकर क्यूँ?