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Shravan Mantri - Savera lyrics

Artist: Shravan Mantri

album: Savera


एक सपना सा था वो सुनहरा
जिसे पलकें ना दे पाएं पहरा
नींदों से लड़कर वो झांके
पर है छा गया सा अंधेरा
वो ख्वाब जैसे कहानियों सा, ख्वाहिशों सा लगा
वो जैसे बंज़र जमीन पे बहते पानियों सा लगा
वो लहरों से लड़के कश्ती को एक किनारे जैसा लगा
वो जैसे अंधेरों में मिली कोई रोशनी सा लगा
सवेरा, होगा जब तू उम्मीद से जागेगा
खोया तू जो अब खुद को भी पा लेगा
गिर के भी तू बढ़ता ही जायेगा, ooh
लड़कर किस्मत को हरायेगा
सपनों को मंज़िल से मिलायेगा
गिर के भी तू बढ़ता ही जायेगा, ooh
दिल अब तू दहलीज़ों में सपने ना देखा कर
ख्वाहिश जब उड़नी की, तू खुद पर भरोसा कर
छोटी सी ये ज़िंदगी, अब जी ले तू जी भर
काट ले अब ये सफ़र, तू हो के बेफ़िकर
आसमां से आ गिरा
वो टूटा सा एक सितारा
ज़िंदगी से तू मिला
है ख़ुदा का वो इशारा
क्यूँ खुद से अब तू यूँ भागे?
जब तेरा ख़ुदा तुझसे आगे
पूरे तू कर अब वो सारे
जो अऱमान दिल मैं हैं जागे
वो ख्वाब जैसे कहानियों सा, ख्वाहिशों सा लगा
वो जैसे बंज़र जमीन पे बहते पानियों सा लगा
वो लहरों से लड़के कश्ती को एक किनारे जैसा लगा
वो जैसे अंधेरों में मिली कोई रोशनी सा लगा
सवेरा, होगा जब तू उम्मीद से जागेगा
खोया तू जो अब खुद को भी पा लेगा
गिर के भी तू बढ़ता ही जायेगा, ooh
लड़कर किस्मत को भी हरायेगा
सपनों को मंज़िल से मिलायेगा
गिर के भी तू बढ़ता ही जायेगा, ooh

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