कैसी नई ये सुबह है, बदली-बदली सी? मैं हूँ, बस मैं हूँ यहाँ पे, और ये रोशनी राहतों की चाहत जो थी वो थम गई इस लम्हे की जो खुशियाँ थी वो मिल गई खूबसूरत सा ये एक खयाल है मन में क्या छुपा वही सवाल है? बेखुदी में भी यही एहसास है जो मन में था, वही सही जवाब है ♪ कै-कै... कैसी नई ये फ़िज़ा है, बदली-बदली सी? तुम हो, बस तुम हो वहाँ पे, और ये रोशनी आदतें जो जैसी भी थीं, बदल गई मुसीबतें ऐसे-तैसे सँभल गई खूबसूरत सा ये एक खयाल है मन में क्या छुपा वही सवाल है? बेखुदी में भी यही एहसास है जो मन में था, वही सही जवाब है