घर को मैं निकला तन्हा अकेला साथ मेरे कौन है? यार है मेरा जो भी करना था कर आ गया मैं प्यार को ही मानते, चलते जाना देखा है ऐसे भी, किसी को ऐसे ही अपने भी दिल में बसाए हुए कुछ इरादे हैं दिल के किसी कोने में भी कुछ ऐसे ही वादे हैं इन को लिए जब हम चले, नज़ारे भी हम से मिले ♪ देखा है ऐसे भी, किसी को ऐसे ही हँसते-हँसाते यूँ सब को मनाते हम जाएँगे बरसों की दूरी को मिल के हम साथ मिटाएँगे प्यार रहे उन के लिए, जो ढूँढें वो उन को मिले ♪ थोड़ा सा ग़रज़ है, थोड़ी सी समझ है चाहतों के दायरे में रुकना फ़र्ज़ है कोई कहता है के घर आ गया है आरज़ू भी अर्ज़ है, पढ़ते जाना देखा है ऐसे भी, किसी को ऐसे ही दिल के झरोखों में अब भी मोहब्बत के साए हैं रह जाएँ जो बाद में भी, हमारे वो पाए हैं इन के लिए अब तक चले, हज़ारों में हम भी मिले ♪ (देखा है ऐसे भी, किसी को ऐसे ही)