रात चाँदनी छाई हुई है चमक रहा है तारा ठंडी-ठंडी ये पुरवाई सोचो, किसने बनाया, हो-हो तुम ही हो पहले, तुम ही हो आख़िर तुम ही से सारा जहाँ तुम ही से माँ-बाप, तुम ही से बचपन तुम ही से समाँ पेड़, परिंदे, पानी का झरना तुम से चमन का महकना नीले-पीले फूलों में भँवरों का है ये ही गुनगुनाना, हो-हो तुम ही से शबनम, तुम ही से ख़ुशबू तुम ही से है ये बहार तुम ही से झोंके मस्त हवा के तुम ही से फ़िज़ा ♪ दोनों जहाँ का तू है उजाला रब, तूने है हम को पाला तेरा है अंबर, तेरी है धरती तेरा है ये जग सारा, हो-हो तुम ही से बादल, तुम ही से सावन तुम ही से है ये घटा तुम ही से बिजली, तुम ही से तूफ़ाँ तुम ही से ख़ुमार