बादलों के सहरे पे लहराती है आँचल वह कभी चंदा शरमाये छुप जाए रुक जाए ऐसे वह कहीं बनाके दीवाना कुछ तुम कुछ वह कुछ ज़माना वो हो हो यह तन्हाई है कैसी रुत आयी है जुदा हो जायूँ में अभी सनम हरजाई है गुमसुम रहती है यह तनहा रहती है सात रंग धलके अपना रंग बदलती है धरती नदिया खुला आसमान अजब यह अफसाना किसे क्या बतलाना समझ न आये तोह दीयों बस इतना कर जाना हर एक दिल में रहती है ऐसी अरमान कोई ऐसे पल भी आ कुछ देके लेके जाए सोचे न कभी जरा वह सुन जा न दुनिया फिर आज चली है कहाँ धीरे जा रे धीरे जा चलता जा रुक नहीं कौन है कहाँ है भई यह किसको है पड़ी औ यह ज़माना कैसा आजमाना कुछ भी बनाके दास्ताँ नज़र से पार हुआ है, दिल से यार हुआ है समझके प्यार जिसे यह दिल बेज़ार हुवा इक पल खिलती है यह फिर मुरझाती है कौन जाने करके ऐसा क्या दिखलाती है धरती नदिया खुला आसमान, वो हो हो लेहराके दिल बहला ले जा हसना तोह है एक बहाने से भड़के तो यह दुनिया कुछ नहीं समझ के समझाना कुछ तुम कुछ हम कुछ ज़माना