मौला कभी मुझे छोड़ना कभी नहीं भूला तेरा एहसान मैं कभी नहीं दिया तूने जो मना किया कभी नहीं कभी किसी को फसाया है कभी नहीं कभी रिश्वत खाई है कभी नहीं कभी झूठ मैं बोला हूँ कभी नहीं तेरे घर में अंधेर है कभी नहीं मौला कभी मुझे छोड़ना कभी नहीं भूला तेरा एहसान मैं कभी नहीं दिया तूने जो मना किया कभी नहीं कभी किसी को फसाया है कभी नहीं कभी रिश्वत खाई है कभी नहीं कभी झूठ मैं बोला हूँ कभी नहीं तेरे घर में अंधेर है कभी नहीं मौला कभी मुझे छोड़ना कभी नहीं भूला तेरा एहसान मैं कभी नहीं(कभी नहीं,कभी नहीं,कभी नहीं) अरे छोड़ ना यार माल है पर दाम नहीं है डिग्री है पर काम नहीं है हम करें कोई ऐसी पढ़ाई जिस से घर में आए कमाई डिग्री है बस नाम की मौला अपने ये किस काम की मौला जो मुझे है नौकरी पानी होगी ऊंची पहुँच लगानी कभी daddy से छुपाया है कभी नहीं कभी cheating की तूने कभी नहीं कभी मस्का लगाया है कभी नहीं कभी गुरु को सताया है कभी नहीं कभी teacher ने मारा है कभी नहीं कभी झूठ मैंने बोला है कभी नहीं तेरे घर में अंधेर है कभी नहीं मौला कभी मुझे छोड़ना कभी नहीं भूला तेरा एहसान मैं कभी नहीं(कभी नहीं कभी नहीं कभी नहीं) पूछो ना पूछो ना कैसा, आ हाँ शादी का लड्डू है ऐसा, वाह जो ना खाये वो ललचाये (क्या बात है) खाने वाला भी पछताए आशिकी romance की बातें ये तो हैं सब chance की बातें ना लगाना खुद पे पहरा बांध लेना सर पे सेहरा कभी बीवी को घुमाया है कभी नहीं(हाह) कभी बीवी से छुपाया है कभी नहीं(हा) कभी बीवी को रुलाया है(अरे) कभी बीवी ने निकाला है(अमा क्या बोल रहा है यार) कभी बीवी ने पीटा है(अमा क्या कर रहा है यार) कभी झूठ मैंने बोला है कभी नहीं तेरे घर में अंधेर है कभी नहीं मौला कभी मुझे छोड़ना कभी नहीं भूला तेरा एहसान मैं कभी नहीं दिया तूने जो मना किया कभी नहीं कभी किसी को फसाया है कभी नहीं कभी रिश्वत खाई है कभी नहीं कभी झूठ मैं बोला हूँ कभी नहीं तेरे घर में अंधेर है कभी नहीं