रोज़ होती है कहानी कोई कोई मतलब है ना मानी कोई रोज़ होती है कहानी कोई कोई मतलब है ना मानी कोई बारिशों के दिन हैं, पत्ता-पत्ता बरसता है प्यास बुझती ही नहीं, दिल अब भी तरसता है फिर भी कहता नहीं ज़बानी कोई रोज़ होती है कहानी कोई ♪ कल भी वादी में आए थे बादल कल भी पलकों से टपका था काजल भर गया आँखों में पानी कोई रोज़ होती है कहानी कोई ♪ नींद आई नहीं कल रात घबराहट थी आसमान जाग गया, चाँद की आहट थी रोज़ कह जाता है कोई पैग़ाम है तो बताया उसकी निशानी कोई रोज़ होती है कहानी कोई कोई मतलब है ना मानी कोई बारिशों के दिन हैं, पत्ता-पत्ता बरसता है प्यास बुझती ही नहीं, दिल अब भी तरसता है फिर भी कहता नहीं ज़बानी कोई रोज़ होती है कहानी कोई