कल ख़्वाब में देखा सखी... कल ख़्वाब में देखा सखी, मैंने पिया का गाँव रे काँटा वहाँ का फूल था, धूप जैसे छाँव रे कल ख़्वाब में देखा सखी, मैंने पिया का गाँव रे काँटा वहाँ का फूल था, धूप जैसे छाँव रे कल ख़्वाब में देखा सखी... ♪ जो देखना चाहे उन्हें आ कर मुझ ही को देख ले जो देखना चाहे उन्हें आ कर मुझ ही को देख ले उनका मेरा इक रूप रे... उनका मेरा इक रूप रे, उनका मेरा इक नाव रे काँटा वहाँ का फूल था, धूप जैसे छाँव रे कल ख़्वाब में देखा सखी, मैंने पिया का गाँव रे काँटा वहाँ का फूल था, धूप जैसे छाँव रे कल ख़्वाब में देखा सखी... ♪ है साथ यूँ दिन-रात का कंगन से जैसे हाथ का है साथ यूँ दिन-रात का कंगन से जैसे हाथ का दिल याद में उलझा है यूँ... दिल याद में उलझा है यूँ पायल में जैसे पाँव रे काँटा वहाँ का फूल था, धूप जैसे छाँव रे कल ख़्वाब में देखा सखी मैंने पिया का गाँव रे काँटा वहाँ का फूल था, धूप जैसे छाँव रे कल ख़्वाब में देखा सखी... ♪ सब से सरल भाषा वही, सब से सरल बोली वही सब से सरल भाषा वही, सब से सरल बोली वही बोले जो नैना बाँवरे... बोले जो नैना बाँवरे, समझे जो सय्याँ साँवरे काँटा वहाँ का फूल था, धूप जैसे छाँव रे कल ख़्वाब में देखा सखी, मैंने पिया का गाँव रे काँटा वहाँ का फूल था, धूप जैसे छाँव रे कल ख़्वाब में देखा सखी...