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Swanand Kirkire - Jeevan Ko Kya Naam Dun lyrics

Artist: Swanand Kirkire

album: Jeevan Ko Kya Naam Dun


चाँद पे छाई काली बदली
रात की स्याही पिघले-पिघले
समय की सुइयाँ मछली-मछली
हर रोज़ फ़िज़ाएँ बदले-बदले
इस वजूद की परिभाषा भी
पल में गहरी, पल में उथली
जीवन को क्या नाम दूँ बोलो?
साँसें गईं और साँसें निकली

बाहर बारिश, भीतर बिजली
बातें कर दो अगली-पिछली
जीवन को क्या नाम दूँ बोलो?
साँसें गईं और साँसें निकली

बहे हवाएँ साए-साए
तनहाई ने करवट बदली
थक कर सोई है कहाँ पे
रंगीले ख़्वाबों की तितली?
बाहर बारिश, भीतर बिजली
और उम्मीदें दुबली-पतली
जीवन को क्या नाम दूँ बोलो?
दोनों झूठे असली-नक़ली

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