Kishore Kumar Hits

Gulzar - Gulzar Speaks lyrics

Artist: Gulzar

album: Amrita Pritam


सुबह सुबह इक ख्वाब की दस्तक पर दरवाज़ा खोला देखा
सरहद के उस पार से कुछ मेहमान आये हैं
आँखों से मानुस थे सारे
चेहरे सारे सुने सुनाए
पाँव धोए हाथ धुलाए
आँगन में आसन लगवाए
और तंदूर पे मक्की के कुछ मोटे मोटे रोट पकाए
पोटली में मेहमान मेरे
पिछले सालों की फसलों का गुड़ लाए थे
आँख खुली तो देखा घर में कोई नहीं था
हाथ लगाकर देखा तो तंदूर अभी तक बुझा नहीं था
और होठों पे मीठे गुड़ का जायका अब तक चिपक रहा था
ख्वाब था शायद
ख्वाब ही होगा
सरहद पर कल रात सुना है चली थी गोली
सरहद पर कल रात सुना है
कुछ ख्वाबों का खून हुआ है

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