चाहा था जिसने दिल उसका तोड़ा पहले तो थामा फिर हाथ को छोड़ा कैसी ख़ुद-ग़र्ज़ी जिसमें तू खोया और ऐसा खोया कुछ पाया नहीं क्यूँ? क्यूँ वो ही रोता है? जो दिल को हँसाता है सीधी, सीधी इन राहों में तू टेढ़ा-मेढ़ा क्यूँ मुड़ जाता है, दिल? दिल तू क्या ही चाहता है? तू क्या ही चाहता है? बता, मेरे दिल क्यूँ मुझे सताता है? तू क्या ही चाहता है? बता, मेरे दिल ♪ कहती है दुनिया, "दिन कितने कम हैं" ख़ुशियों से ज़्यादा फिर क्यूँ इतने ग़म हैं? हम सब कुछ पा के भी रहते गुम-सुम हैं सुनने को सब हैं पर कहते नहीं क्यूँ? क्यूँ वो ही होता है? जो दिल को डराता है भीगी, भीगी इन पलकों में तू कितनी सारी बातें छिपाता है दिल तू क्या ही चाहता है? तू क्या ही चाहता है? बता, मेरे दिल क्यूँ मुझे सताता है? तू क्या ही चाहता है? बता, मेरे दिल