कहो तो हम भी मुस्कुराते हैं कहानी इक तुम्हें सुनाते हैं यक़ीन आए तो ना ग़म कोई कि खुलके आज सब बताते हैं हमें लगा था, अब हमें कभी ना होगा प्यार, ना ही दोस्ती गाया, दिल दुखाया हर दफ़ा ना गाके फिर हसीन गलती की ज़माने भर में सारे चोर हैं फ़क़ीर ख़ुद को सब बताते हैं ये लोग रोज़ ग़म में डूब के ख़ुशी के गीत गुनगुनाते हैं ज़माना छोड़ो, हम क्या ठीक हैं? ज़माने भर में हम भी आते हैं तुम्हारी आँखें जो भी कहती है वहीं आवाज़ लब सुनाते हैं तुम्हारी रोशमी में भीग के हमारे ग़म भी मुस्कुराते हैं ♪ सज़ा-ए-बेगुनाही की जगह वफ़ा पे गीत लिखना चाहते हैं कि सीने में दफ़न है किरिच जो उभर के फूल होना चाहते हैं के आज फिर सँवरना चाहते हैं ये बाल फिर बिगड़ना चाहते हैं के दिल को आ गए हो रास तुम ये तुमको आज हम बताते हैं