इंद्र जिमि जंभ पर बाडव सुअंभ पर रावण सदंभ पर रघुकुलराज है! पौन बारिबाह पर संभु रतिनाह पर ज्यों सहसबाह पर राम द्विजराज है! उदरात माउली रयतेस साउली गडकोट राउळी शिवशंकर हा मुक्तीची मंत्रणा युक्तीची यंत्रणा खल दुष्टदुर्जना प्रलयंकर हा संतांस रक्षितो शत्रू निखंदतो भावंडभावना संस्थापितो ऐसा युगेयुगे स्मरणीय सर्वदा माता-पिता-सखा शिवभूप तो दावा दृमदंड पर चीता मृगझुंड पर भूषन वितुंड पर जैसे मृगराज है! तेज तमअंस पर कन्ह जिमि कंस पर त्यों मलिच्छ बंस पर सेर सिवराज है! जय भवानी, जय शिवाजी!