नदियों से भी निकल जाना समंदर से भी निकल जाना मेरी ज़िंदगी से निकल गई तो मेरे अंदर से भी निकल जाना ♪ नदियों से भी निकल जाना समंदर से भी निकल जाना मेरी ज़िंदगी से निकल गई तो मेरे अंदर से भी निकल जाना पत्थर की है तू मूरत कोई तेरी नहीं अब ज़रूरत कोई पत्थर की है तू मूरत कोई तेरी नहीं अब ज़रूरत कोई मैं जहाँ शायरी करूँ उस मंदिर से भी निकल जाना ♪ नदियों से भी निकल जाना समंदर से भी निकल जाना मेरी ज़िंदगी से निकल गई तो मेरे अंदर से भी निकल जाना ♪ ओ, तेरे जाने के बाद, सनम, जाम पे जाम लगने लगा ओ, रोने की इतनी आदत पड़ी, हँसना हराम लगने लगा ओ, तेरे जाने के बाद, सनम, जाम पे जाम लगने लगा ओ, रोने की इतनी आदत पड़ी, हँसना हराम लगने लगा Jaani तो इक खंडर है उस खंडर से भी निकल जाना ♪ नदियों से भी निकल जाना समंदर से भी निकल जाना मेरी ज़िंदगी से निकल गई तो मेरे अंदर से भी निकल जाना तेरे बिना ना जीने का वादा था तुझसे वादा पूरा करना था, सो कर गए हम तेरे बिना रहने से तो मरना अच्छा था मुबारक़ हो, लो मर गए हम