कैसी ख़ला ये दिल में बसी है?
अब तो ख़ताएँ फ़ितरत ही सी हैं
मैं ही हूँ वो जो रहमत से गिरा
ऐ खुदा, गिर गया, गिर गया
मैं जो तुझ से दूर हुआ, लुट गया, लुट गया
ऐ खुदा, गिर गया, गिर गया
मैं जो तुझ से दूर हुआ, लुट गया, लुट गया
कैसी ख़ला ये दिल में बसी है?
अब तो ख़ताएँ फ़ितरत ही सी हैं
मैं ही हूँ वो जो रहमत से गिरा
ऐ खुदा, गिर गया, गिर गया
मैं जो तुझ से दूर हुआ, लुट गया, लुट गया
ऐ खुदा (ऐ खुदा)
इतनी ख़ताएँ तू लेकर चला है
दौलत ही जैसे तेरा अब खुदा
हर पल बिताए तू जैसे हवा है
गुनाह के साए में चलता रहा
समंदर सा बहकर तू चलता ही गया
तेरी मर्ज़ी पूरी की तूने, हाँ, हर दफ़ा
तू ही तेरा मुजरिम, ਬੰਦਿਆ
ऐ खुदा, गिर गया, गिर गया
मैं जो तुझ से दूर हुआ, लुट गया, लुट गया
क्यूँ जुड़ता इस जहाँ से तू?
एक दिन ये गुज़र ही जाएगा
कितना भी समेट ले यहाँ
मुट्ठी से फ़िसल ही जाएगा
हर शख़्स है धूल से बना
और फिर उस में ही जा मिला
ये हक़ीक़त है, तू जान ले
क्यूँ सच से मुँह है फ़ेरता?
चाहे जो भी हसरत पूरी कर ले
रुकेगी ना फ़ितरत, ये समझ ले
मिट जाएगी तेरी हस्ती
मर ना पाएगा ये दिल, ਬੰਦਿਆ
ऐ खुदा, गिर गया, गिर गया
मैं जो तुझ से दूर हुआ, लुट गया, लुट गया
'गर तू सोचे तू है गिरा
मेरे हाथ को थाम, उठ ज़रा
तेरे दिल के दर पे हूँ खड़ा
मुझ को अपना ले तू ज़रा
तू कहे तू है साए से घिरा
तेरी राहों का मैं नूर हूँ
तेरे गुनाह को खुद पे ले लिया
मेरी नज़रों में बेक़सूर तू
ऐसा कोई मंज़र तू दिखला दे
मुझे कोई शख़्स से मिलवा दे
ऐसे कोई दिल से तू सुनवा दे
कि ज़ख़म कोई उसे ना मिला
ऐ खुदा, गिर गया, गिर गया
मैं जो तुझ से दूर हुआ, लुट गया, लुट गया
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