कैसी ख़ला ये दिल में बसी है? अब तो ख़ताएँ फ़ितरत ही सी हैं कैसी ख़ला ये दिल में बसी है? अब तो ख़ताएँ फ़ितरत ही सी है मैं ही हूँ वो जो रहमत से गिरा ऐ ख़ुदा, गिर गया, गिर गया मैं जो तुझसे दूर हुआ लुट गया, लुट गया ♪ इतनी ख़ताएँ तू ले कर चला है दौलत ही जैसे तेरा अब ख़ुदा हर पल बिताए तू जैसे हवा है गुनाह के साए में चलता रहा समंदर सा बहकर तू चलता ही गया तेरी मर्ज़ी पूरी की तूने, हाँ, हर दफ़ा तू ही तेरा मुजरिम, ਬੰਦਿਆ ऐ ख़ुदा, गिर गया, गिर गया मैं जो तुझ से दूर हुआ लुट गया, लुट गया ♪ क्यूँ जुड़ता इस जहाँ से तू? इक दिन ये गुज़र ही जाएगा कितना भी समेट ले यहाँ मुट्ठी से फ़िसल ही जाएगा हर शख़्स है धूल से बना और फिर उसमें ही जा मिला ये हक़ीक़त है तू जान ले क्यूँ सच से मुँह है फ़ेरता? चाहे जो भी हसरत पूरी कर ले रुकेगी ना फ़ितरत, ये समझ ले मिट जाएगी तेरी हस्ती बर ना पाएगा ये दिल, ਬੰਦਿਆ ऐ ख़ुदा, गिर गया, गिर गया मैं जो तुझसे दूर हुआ लुट गया, लुट गया