एक दिन कभी जो ख़ुद को तराशे मेरी नज़र से तू ज़रा, हाय रे आँखों से तेरी क्या-क्या छुपा है तुझको दिखाऊँ मैं ज़रा, हाय रे एक अनकही सी दास्ताँ-दास्ताँ कहने लगेगा आईना सुब्हान-अल्लाह, जो हो रहा है, पहली दफ़ा है वल्लाह, ऐसा हुआ सुब्हान-अल्लाह, जो हो रहा है, पहली दफ़ा है वल्लाह, ऐसा हुआ (ऐसा हुआ) ♪ हाँ, मेरी ख़ामोशी से बातें चुन लेना उनकी डोरी से तारीफ़ें बुन लेना कल नहीं थी जो, आज लगती हूँ तारीफ़ मेरी है ख़्वाह-मख़ाह तोहफ़ा है तेरा मेरी अदा ये दो दिलों का वास्ता-वास्ता खुल के बताया जाए ना सुब्हान-अल्लाह, जो हो रहा है, पहली दफ़ा है वल्लाह, ऐसा हुआ सुब्हान-अल्लाह, जो हो रहा है, पहली दफ़ा है वल्लाह, ऐसा हुआ (ऐसा हुआ)