जब तड़पता है कभी अपना कोई खून के आँसू रुला दे बेबसी जब तड़पता है कभी अपना कोई खून के आँसू रुला दे बेबसी जी के फिर करना क्या मुझको ऐसी ज़िंदगी? जी के फिर करना क्या मुझको ऐसी ज़िंदगी? जिसने ज़ख्मों को नहीं मरहम दिए ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए जितने भी मौसम दिए, सब नम दिए ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए ♪ अपने भी पेश आएँ हम से अजनबी वक्त की साज़िश कोई समझा नहीं अपने भी पेश आएँ हम से अजनबी वक्त की साज़िश कोई समझा नहीं बे-इरादा कुछ ख़ताएँ हम से हो गईं बे-इरादा कुछ ख़ताएँ हम से हो गईं राह में पत्थर मेरी हर-दम दिए ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए जितने भी मौसम दिए, सब नम दिए