शुक्र है सफ़र में, असर ये निखर के है बह रहा, ये कह रहा कहानी भरे वो सफ़ीने, सुनाने हैं इस तरह, बिना वज़ह मैं कुछ भी चाहता नहीं दुआ मैं माँगता नहीं हवाओं को यूँ थाम के मैं उड़ चला मैं उड़ चला, ह-ह-हा मैं उड़ चला, ह-ह-हा मैं उड़ चला ♪ जो इस पल है हलचल, वहीं कल मुसलसल तू मिल ज़रा, दे दिल ज़रा मैं तुझमें घुलूँ और तू मेरी रगों में आ घुल ज़रा, बिना वज़ह मैं तुझसे पूछता नहीं पहेली बूझता नहीं हवाओं को बस थाम के मैं उड़ चला ओ, मैं उड़ चला ओ, बस उड़ चला, ह-ह-हा मैं उड़ चला