अब बूँदें गिर रही हैं फिर भी सूखी ज़मीं है तू ही आके भीगा दे, ओ, मेरे मेहरमाँ बस तेरी ही कमी है जो मुझको खल रही है अब सुन ले तू सदाएँ, ओ, मेरे मेहरमाँ फासले बन गए दरमियाँ क्या खुदा की यही मर्जियाँ आई है बारिशें फिर एक दफ़ा रोया हूँ फिर से मैं एक दफ़ा तुम ही को ढूँढें आँखें मेरी आँखों की सुन भी ले तू सदा ♪ पर्दों के साए में खोया रहूँ मैं तेरी यादों से बातें करूँ मैं ये बादल गवा है ये कहती हवाएँ पूछ ले तुझपे कितना मरूँ मैं तन्हाईयों को गले से लगा के तेरे बिन बेवजह जी रहा हूँ दिल को मेरे कब से झूठे दिलाशे तेरे आने के मैं दे रहा हूँ कर ज़रा तू मेहरबानियाँ अब तो दे तू मिटा दूरियाँ आई है बारिशें फिर एक दफ़ा रोया हूँ फिर से मैं एक दफ़ा तुम ही को ढूँढें आँखें मेरी आँखों की सुन भी ले तू सदा